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नरक चतुर्दशी क्या है? (What is Narak Chaturdarshi?)

नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdarshi in Hindi) जिसे काली चौदस, नरक चौदस, रूप चौदस, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी या भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है, जो शालिवाहन शक हिंदू कैलेंडर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 14 वें दिन पर पड़ता है। यह दीपावली / दीपावली के पांच दिवसीय लंबे त्योहार का दूसरा दिन है। हिंदू साहित्य बताता है कि इस दिन कृष्ण और सत्यभामा द्वारा असुर (राक्षस) नरकासुर का वध किया गया था। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते है.

नरक चतुर्दशी क्या है? (What is Narak Chaturdarshi?)

नरक चतुर्दशी क्या होता है? (What is Narak Chaturdarshi?)

नरक चतुर्दशी के इस त्यौहार को कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है.  दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है। त्योहार को "काली चौदस" भी कहा जाता है, जहां काली का अर्थ है अंधेरा (शाश्वत) और चौदस का अर्थ है चौदहवां, यह आसो महीने के अंधेरे आधे के 14 वें दिन मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर जीवनकाल में किये गए पापो से मुक्ति प्राप्त होती है, तथा नरक में मिलने वाली यातनाओ तथा अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है.

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पौराणिक कथाओ के अनुसार, नरकासुर के द्वारा अपने बंदी गृह में 16,100 कन्याओ को बंदी बना कर रखा था, श्री कृष्ण ने इन कन्याओ को नरकासुर की कैद से मुक्त कराया तथा पत्नी सत्यभामा की सहायता से 16,100 कन्याओ से विवाह कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. दीपावली के दूसरे दिन को राजस्थान और गुजरात में काली चौदस के नाम से जाना जाता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व (Importance of Narak Chaturdarshi)

माना जाता है कि इस दिन सिर धोने और आंखों में काजल लगाने से काली नजर दूर रहती है। बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए इस देवी को उनकी कुल देवी कहा जाता है। कुछ परिवार इस दिन अपने पूर्वजों को भोजन भी कराते हैं। नरक चतुर्दशी के दिन दीपक जलाने तथा दीपदान का पौराणिक महत्व है। 

गोवा में, नरकासुर के कागज से बने पुतले, घास से भरे और बुराई के प्रतीक पटाखों से बनाए जाते हैं। सुबह करीब चार बजे इन पुतलों को जलाया जाता है और फिर पटाखे फोड़े जाते हैं. पश्चिम बंगाल राज्य में काली पूजा से एक दिन पहले भूत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। आतिशबाजी और पटाखे भी इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

इस दिन को उत्तरी भारत में छोटी दिवाली और दक्षिण भारत में तमिल दीपावली के रूप में मनाया जाता है। पुरुष, महिलाएं और बच्चे समान रूप से नए कपड़े पहनते हैं, अपने घरों को सजाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं।

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